करें शुभ कर्म भरोसा प्रभु पर सद्व्यवहार प्रभु पर श्रद्धा विचित्र सृष्टि सुख-दुख में समभाव सद्बुद्धि और सद्वृत्ति दे दो भटक सकूं न एक संवाद अपनी अम्मा से पहचान गरल अंधेरी मुस्कान वो आस व्याधि घाव प्रभात

Hindi गरल-पीयूष एक सागर से Poems